ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 9
ब्लेक बेंगल्स चेप्टर 9
ज्योति की घर वापसी
हैलो फ्रेंड्स कैसे हैं आप लोग उमीद करती हु आप सब अच्छे होंगे
अब तक आपने पढ़ा की दिल्ली मे मीटिंग बैठी थी जिसमे ब्लेक बेंगल्स को ढूंढने का डिस्कशन हुआ वही दूसरी तरफ ट्रेन मे ज्योति जैसे ही फ्रेश होकर आती है उसके मोबाइल मे किसी अंजान नम्बर से मेसेज आता है...
"अब आगे"
ज्योति फ्रेश होकर जैसे ही आई उसका फोन बजा उसने जैसे ही अपना फोन उठा कर देखा तो उसमे किसी अंजान नंबर से मेसेज था...
उस पहली मुलाकात का
असर आज भी है
मेरी यादों मे ज़िंदा
वो शक्स आज भी है
कुछ शब्द अधूरे रह गए थे
पूरे करने की हसरत आज भी है
उम्मीद करता हूँ पहचान लिया होगा और अगर नही पहचाना तो मेरे पास और भी तरीके हैं.... "याद दिलाने के"....
ज्योति कुछ पल अपने फोन को देखती है.. और एक मुस्कान उसके चेहरे पर खेलने लगती है फिर कुछ सोच कर वह टाइप करती है
देवांश "यही होना तुम"... ज्योति का फोन दुबारा बजता है.. "मनना पड़ेगा टीचर जी".... "दिमाग बहुत तेज है तुम्हारा"....
मुझे मेसज करने की वजह... ज्योति पूछती है तो.. तो दुबारा रिप्लाई आता है..... "जो चीज़ मुझे अच्छी लगती है".. उसे मै हासिल कर लेता हु....
ज्योति के चेहरे पर एक टेढी मुस्कुराहट आ जाती है.... "मै कोई चीज़ नही हु"....
देवांश का दुबारा मेसेज आता है.... लेकिन इस बार कोई मेसेज नही इमोजी था..स्माइल का...
ज्योति कुछ सोचती है..... फिर किसी को मेसेज करती है और फोन रखकर खिड़की से बाहर देखने लगती है....
सफर का मजा लेते और यश के साथ मस्ती करते हुए.... आखीर कार दोनो अपनी मंज़िल तक आ ही जाते हैं... ट्रेन से उतरकर ज्योति अपने लिए केब बुक करने लगती है.... तभी उसे यश की आवाज़ आती है....
जो बाहें फैलाए कहता है..
"हकीकत भूल जाते हैं फसाना भूल जाते हैं,
हमें तुम याद आते हो तो जमाना भूल जाते है...
अजीब सा नशा है तेरे शहर की फिजाओ मे,
तेरी गलियो मे आके अपना ठिकाना भूल जाते है...
न जाने कितनी बाते तुमसे करनी है,
तेरे आगोश मे आके बताना भूल जाते है"..❤️
ज्योति मुस्कुरा कर हाथ से इशारा करते हुए कहती है... वाह जनाब किसको याद करके ज़माना भूल जाते हैं.... ज्योति का सवाल सुन यश कुछ पल उसको देखता है फिर कहता है.... है कोई...
ज्योति एक्साइटेड होते हुए कहती है.... सचि.. कौन है कैसी है... ज्योति की बेचैनी देख यश को हसी आ जाती है..... यश हंसते हुए कहता है बता दूंगा इतनी जल्दी क्या है थोड़ा सब्र रखो.....
ज्योति मुंह बनाते हुए कहती है...."अगर फिर नहीं मिले तो"....यश कुछ पल उसे देखता है फिर कहता है...."मुलाकाते तो अभी शुरू हुई है"......"यह सफर इतनी जल्दी खत्म नहीं होगा"....."अगली मुलाकात मे तुम्हें जरूर बताऊंगा".....और वहां से चला जाता है
ज्योति उसे जाते हुए देखती रहती है फिर खुद से ही कहती है....."अजीब आदमी है ना पूरी बात बताता है"... ना ही अधूरी छोड़ता है".....फिर ज्योति भी वहां से कैब लेकर निकल जाती है
ज्योति के जाने के बाद यश वापस उसी जगह पर आता है और ज्योति की जाती हुई गाड़ी को देखकर कुछ सोचता है फिर वह भी एक कैब लेकर वहां से निकल जाता है...
ज्योति जब अपने घर पहुंचती है तो अपने घर को देख उसकी आंखें नम हो जाती है....."हां यह वही घर था जहां ज्योति आज पूरे 6 महीने बाद आई थी".....यह घर कुछ खास बड़ा नहीं था...."लेकिन फिर भी काफी खूबसूरत था"....ज्योति एक गहरी सांस लेती है
और अपना बेग लेकर....अंदर आती है उसकी नजर अंदर से आती हुई एक औरत पर पड़ती है......जिनकी उम्र लगभग 50 से 55 के बीच होगी....ज्योति उन्हें देख भागकर उनके पास जाती है और उनके गले से लिपट जाती है.....ज्योति के गले लगते ही उस औरत के चेहरे पर मुस्कान खिल जाती है ....
ज्योति उनके गले लगे हुए कहती है "मां मैंने आपको बहुत मिस किया"
( आइए ज्योति के परिवार से मिलते हैं ज्योति के परिवार में "उसे मिलाकर 5 लोग हैं"..."ज्योति की मां उमा देवी"..."ज्योति के पापा राजेश पांडे".."जो कि आर्मी से रिटायर है"...उमा जी जो इस उम्र में भी "अपनी उम्र से कम नजर आती है"...और "राजेश जी अपनी उम्र से ज्यादा ही नजर आते हैं"
ज्योति के दो भाई है "एक बड़ा जिसका नाम दीपक पांडे है और एक छोटा भाई जिसका नाम अंकित पांडे है"
"दीपक पांडे जिनकी उम्र लगभग 28 या 29 होगी"....दिल्ली में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करते हैं"..वही "अंकित पांडे इंडियन आर्मी में हेलीकॉप्टर इंजीनियर के तौर पर काम करते हैं"....."इनकी उम्र करीब 22 साल है"....तो यह तो बात हुई ज्योति के परिवार की चलिए अपनी कहानी में आगे बढ़ते हैं)
ज्योति की मां उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहती है "कैसा है मेरा बच्चा"....ज्योति अपनी मां को और टाइट हग करते हुए कहती है
"मैं अच्छी हूं आप कैसी हैं"....."आपको कितना सारा मिस किया" उमाजी झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहती है....."हां हां तभी तो 6 महीने बाद मां से मिलने आई है"......ज्योति उनसे थोड़ा दूर होते हुए कहती है..."मेरे ना आने की वजह आप अच्छे से जानती हैं".....और
"अगर भैया की शादी ना होती तो मैं इस बार भी नहीं आती"...उमा जी......अपनी बेटी का चेहरा अपने दोनों हाथों में भरते हुए कहती है "नाराजगी किसी और से , और सजा किसी और को"....ज्योति एक व्यंग भरी मुस्कान के साथ कहती है...."मैंने किसी को सजा नहीं दी बस मेरा इस घर में रहना किसी को पसंद नहीं था बस यही वजह है कि मैं इस घर में नहीं आती".....
तभी पीछे से एक सख्त आवाज आती है "कौन घर नहीं आती"...यह आवाज सुनते ही ज्योति की आंखों में दर्द और गुस्सा दोनों एक साथ नजर आने लगता है..."माँ मैं फ्रेश होकर आती हू"... इतना कहकर
ज्योति अपने कमरे में ऊपर चली जाती है.... उमा जी ज्योति को आवाज लगाती हैं लेकिन तब तक ज्योति जा चुकी थी राजेश जी उमाजी को गाली देते हुए कहते हैं... यही सिखाया है.. तूने इसे...
उमा जी जहाँ से ज्योति गई थी उस तरफ देखते हुए कहती है... आपकी इसी नफरत ने मुझसे मेरी बेटी को दूर कर दिया... राजेश जी की भी आँखे नम हो जाती हैं....
वो भी वहाँ से चले जाते हैं....
ज्योति के कमरे मे
ज्योति दरवाज़ा बंद कर देती है और दरवाजे से लगकर वही बैठ जाती है उसकी आँखो मे रुके आँसु बेह निकलते हैं... वो सुबकते हुए कहती है..... मै आपको कभी माफ नही करूँगी पापा आई हेट यु..
तभी उसका मोबाइल बजता है जिसपर मेसज था...
किसका है मेसेज? आखीर क्यों ज्योति अपने पिता से नफरत करती है? यश कोन है और क्यों आया है ज्योति की जिंदगी मे? देवांश का ज्योति को मेसज करने के पीछे क्या वजह है?
जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी ब्लेक बेंगल्स... मिलते हैं अगले चेप्टर मे तब तक खुश रहिये आबाद रहिये काशी रहिये या मुरादाबाद रहिये...
..... बाय बाय.....
KALPANA SINHA
11-Aug-2023 10:54 AM
Nice part
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Varsha_Upadhyay
01-Feb-2023 07:11 PM
Nice part 👌
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
01-Feb-2023 04:45 PM
बेहतरीन भाग
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